Day: November 18, 2022

विसंवाद

विसंवाद साधर्मी से इसलिये कहा क्योंकि विधर्मी से सम्पर्क ही नहीं/ कम होता है। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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संभवता

संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका है… असंभव से भी आगे निकल जाना। (अनुपम चौधरी)

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मंगल आशीष

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