Day: November 19, 2022

परिषह-जय/तप

बाइस परिषह पूरी तरह सहने से “जय”। “तप”…प्रवीण होने के लिये, उत्तर-गुण। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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निंदा

पर्वतों की चोटियों पर तप करने से भी ज्यादा कर्म कटते हैं, निंदा को सहन करने से। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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