Month: January 2023
सम्यक्-मिथ्यात्व / सम्यक्-प्रकृति
सम्यक्-मिथ्यात्व/ सम्यक्-प्रकृति का सत्त्व पहले से होना चाहिये (तभी तीसरे गुणस्थान में उदय होगा)। यह सम्यक्दृष्टि तथा मिथ्यादृष्टि में भी हो सकता है। सम्यक्-मिथ्यात्व तथा
दृष्टि
जब तक आपकी दृष्टि हमारे प्रति सही तब तक ही हम सही……… (अनुपम चौधरी) (तब तक ही आप भी सही) ……………………………………….. 74वें गणतंत्र दिवस की
कर्ता
“जो-जो देखी वीतराग ने सो-सो होती वीरा रे” इससे तो भगवान कर्ता हो जायेंगे जैसा अन्य दर्शन मानते हैं → “होवे वही जो राम रच
गति-मार्गणा
1. गति-नामकर्म के उदय से उत्पन्न पर्याय को “गति” कहते हैं। 2. जिससे जीव जानने(ज्ञान) में आये/ जाना जाता है। 3. गति ही चारों गतियों
निमित्त
बेल को सहारा मिलने पर ऊँचाइयाँ पा लेती है पर उस निमित्त से उतरती नहीं है। सिर्फ मनुष्य ऐसा है जो निमित्त पाकर चढ़ता कम,
इंद्रियों की अपेक्षा संख्या
पर्याप्तक (जो दिखते/ दिख सकते हैं) → 3 इंद्रिय सबसे ज्यादा, इनसे कम 2 इंद्रिय, 4 इंद्रिय उनसे कम, सबसे कम 5 इंद्रिय। मुनि श्री
इंद्रिय-नियंत्रण
किसी व्यक्ति को कुछ काम करने को कहा। प्रतिक्रिया >>> मैं आपका नौकर नहीं हूँ। काश ! यह सोच अपनी इंद्रियों के बारे में भी
मनुष्य संख्या
अधिक से अधिक मनुष्य संख्या …. 29 अंक प्रमाण, (792281625142, 643, 37, 59, 354, 39, 50, 336) पर्याप्त मनुष्यों के 3/4 मानुषी (द्रव्य से) (भाव
सब्जी रोटी
जीभ का टेस्ट, पेट में जाता वेस्ट ; बीमारी बनती गैस्ट, डाक्टर करते टैस्ट, रुपये होते वेस्ट ; इसलिये सब्जी रोटी बैस्ट।
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