Month: January 2023
भाव/द्रव्य इन्द्रि
भाव-इन्द्रि… मति ज्ञानावरण के क्षयोपशम से, द्रव्य-इन्द्रि… शरीर नामकर्म/ जातिकर्म के उदय से। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जीवन
जीवन एक खेल है। यह हम पर निर्भर करता है कि हम खिलाड़ी बनें या खिलौना ! निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
सोलहकारण
सोलहकारण भावनाओं में 10 भावनायें + 4 भक्तियाँ + 2 शक्तियां हैं। इससे पता लगता है कि भावनाओं का महत्त्व सबसे ज्यादा फिर भक्तियों का
Hard work
“Hard work beats talent when talent doesn’t work as hard.” – Tim Tebow (Pranshi).
श्रेणी
जग श्रेणी = 7 राजू प्रमाण; (जग श्रेणी) वर्ग 2 = जगत प्रतर। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जिसका फाला उसका गाना
51% से अधिक जिसकी ओर हो, गाने उसके ही गाने में समझदारी होगी न ! 51 से अधिक वर्षों की उम्र में, अगले जन्म/ भगवान
अंगुल
प्रतरांगुल = सूच्यंगुल का वर्ग। घनांगुल = सूच्यंगुल का घन/Cube. मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ज्ञान / तप
रोशनी* नहीं, आग** जलाऊँ ताकि, कर्म दग्ध*** हों। *ज्ञान **तप ***जलना/समाप्त होना आचार्य श्री विद्यासागर जी
सुखी / दु:खी
व्यवहार से एक जीव दूसरे जीव को सुखी/ दु:खी कर सकता है, उससे कर्मबंध भी होगा। निश्चय से सुखी/ दु:खी नहीं कर सकता, ना ही
समस्या / व्यवस्था
समस्या को व्यवस्था में बदल लें/ कर लें, तो समस्या, समस्या नहीं रहती/ दु:ख नहीं होता। जैसे कांटा लगा (समस्या), सुई की व्यवस्था की, कांटा
Recent Comments