Month: February 2023

द्रव्य/भाव कर्म

लालटेन की चिमनी पर कालिख → भाव कर्म (औदायिक/ रागद्वेष)। पहले इन्हें साफ करना होगा । तब लौ पर लगी किट्टिका → द्रव्य-कर्म को ध्यानादि

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जीव कल्याण

करोड़ों बार स्तोत्र पढ़ने/ भक्तामर आदि का अखंड पाठ जीवन भर करने से उतना फल नहीं मिलेगा, जितना पाँच मिनट सब जीवों के सुखी रखने

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सासादन

“स” = सहित + “आसादन” = विराधना सासादन के साथ सम्यग्दर्शन लगा है क्योंकि मिथ्यादृष्टि नहीं है। सम्यग्दर्शन(प्रथमोपशम/ द्वितीयोपशम) जैसी ऊंचाई से गिरा है सो

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तप / संयम

सोना तपाने से शुद्ध हो जाता है फिर भी सोने के तरल होने पर उसमें सुहागा डाला जाता है ताकि उसकी शुद्धता बनी रहे। श्रावक

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जरायुज

भोगभूमज तथा तीर्थंकर गर्भज-जरायुज होते हैं। पर गर्भ से बाहर आने पर “जरायु*” नहीं रहता। मुनि श्री सुधासागर जी * जन्म के समय बच्चों पर

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भक्ति

भक्ति के लिये भक्त में Self Awareness होनी चाहिये, अपने तथा आराध्य के गुणों के प्रति, दोनों के गुणों में अंतर भी स्पष्ट हो। (प्रशांत)

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निगोदिया की पर्याप्ति

अनंत निगोदिया एक समय में आहार शुरू करेंगे तथा एक साथ पूर्ण भी। ऐसे ही दूसरे आदि समयों में अन्य-अन्य अनंत-अनंत जीव पर्याप्ति शुरु/ पूर्ण

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संयम

रावण धर्म का पंडित, मज़बूत/ सुरक्षित किले के अंदर, बड़ी सेना का मालिक, फिर भी हार गया। जबकि राम थोड़ी सी सेना के साथ किले

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निगोद

साधारण नामकर्म के उदय से निगोद (नि = नियम से + गोद = क्षेत्र), अर्थात् जिस क्षेत्र में नियम से अनंत जीवों का वास हो

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तप

संसार की वेदना को मिटाने के लिए तप रूपी बाम को लगाना होगा। कषाय (मायादि) के टेढ़ेपन को ताप से ही सीधा किया जा सकता

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मंगल आशीष

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