Month: March 2023
निगोद से निकलना
निगोद से निकलने का निमित्त…. भावों में कलंक की कलुषता कम होना है क्योंकि कषायों में बिना पुरुषार्थ के हानि वृद्धि होती ही रहती है।
मुखौटे
शेर का मुखौटा लगा कर बच्चा माँ को डरा नहीं पाता क्योंकि माँ तो असली चेहरे को जानती है। भगवान भी तो असली चेहरे को
Adjustment
My way is with (always) Highway. सबको साथ लेकर चलने के लिए…. कुछ सब्र, कुछ बर्दाश्त तथा बहुत कुछ नज़र-अंदाज़ करके चलना होगा। (अंजली –
अनुभूति
आचार्य श्री विद्यासागर जी गर्भग्रह में गये। मुनि श्री सम्भवसागर जी…. कितनी ठंडक है ! आचार्य श्री…. वेदी के नीचे इतनी ठंडक है, वेदी के
धैर्य / विवेक / दया
राजा को 3 मूर्तियाँ बहुत प्रिय थीं। सेवक से एक मूर्ति टूट गयी। राजा ने मृत्युदंड दे दिया। सेवक ने बाकी 2 मूर्तियाँ भी तोड़
योगों का काल
सत्य, असत्य, उभय तथा अनुभय प्रत्येक का काल अंतर्मुहूर्त। पूर्व दो की अपेक्षा उत्तरोत्तर का काल क्रम से संख्यातगुणा संख्यातगुणा है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
कथनी / करनी
दया का कथन ज़ुदा है, करन ज़ुदा। अब तो कृपाण पर भी गुदा रहता है → “दया धर्म का मूल है”, जबकि कृपाण के तो,
मूलगुण
मूल यानि जड़, जिसके बिना पेड़, न जीवित रह सकता है, ना ही प्रगति कर सकता है। ऐसे ही श्रावक/ मुनि के लिये मूलगुण आवश्यक
अंतरंग का महत्व
Label बाह्य और Level* अंतरंग, प्राय: अलग-अलग। बाह्य का Label मिट भी जाय तो भी अंदर की दवा काम करेगी। Label कितना भी सुंदर हो
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