Month: March 2023
कषाय चार भेद
अनंतानुबंधी → अपनी सीट पर बैठ कर दूसरों की सीटों पर पैर पसार कर लेटना। अप्रत्याख्यान → मेरी सीट मेरी, तुम्हारी सीट तुम्हारी। प्रत्याख्यान →
भेद-विज्ञान
कोयल चालाकी से अपने अंडे कौवे के घोंसले में दे देती है। बच्चे निकलने पर कौवा अपने और कोयल के अंडों में फ़र्क नहीं कर
अशुचि
श्री रत्नकरंड श्रावकाचारानुसार → शरीर से स्पर्श होते ही वस्तु अपवित्र हो जाती है। खुद अनुभव करें → हमारे शरीर के सम्पर्क में आयीं वस्तुओं
गृहस्थ / साधु
गृहस्थ और साधु में अंतर गृहस्थ परिस्थितियों को अपने अनुसार बदलने का प्रयास करता रहता है। परिस्थितियां नित नयी बदलती रहती हैं; सो उसके अनुरूप
प्रत्येक / साधारण
प्रत्येक व साधारण, वनस्पतिकायिक के 2 भेद हैं। प्रत्येक के 2 भेद ….सप्रतिष्ठित व अप्रतिष्ठित…. साधारण/ निगोदिया सहित सप्रतिष्ठित व अप्रतिष्ठित निगोद रहित। सप्रतिष्ठित कौन
ज्ञानी
अज्ञानी व्यक्ति ग़लती छिपाकर बड़ा बनना चाहता है, और ज्ञानी, ग़लती मिटाकर। (सुरेश)
कंद-मूल
कंद जैसे आलु आदि। मूल जो मूल शरीर से पैदा हो जैसे हल्दी आदि। कंद में मूल कम मात्रा में डाले जाते हैं, औषधि रूप।
मायाचारी / सरलता
ढोलक ऊपर से ढकी/ सुंदर, अंदर से पोल। इसीलिये पैरों पर रख कर पीटी जाती है, हालांकि वह बांसुरी आदि वाद्यों से बड़ी व भारी-भरकम
कुलाचार
जैन कुलाचार के अनुसार भगवान 18 दोष रहित, गुरु-निर्ग्रंथ, भोजन- शुद्ध, अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत, आत्म-स्वतंत्रता। ये कुलाचार सिर्फ मनुष्यों में होता है, पशु/ देवों तक
पतझड़
इस मौसम में सब वृक्ष अपने पत्ते छोड़ते हैं। क्या उनको पुण्य मिलेगा ? नहीं, क्योंकि उनके पत्ते छोड़ने का कारण ममत्व कम करना नहीं
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