Month: June 2023
कर्म/भोग भूमि
कर्म-भूमि में चौराहे/ भटकन होती है, इसीलिये माता/ पिता तथा गुरु की आवश्यकता होती है। भोग-भूमि में नहीं, इसीलिये वहाँ माता/पिता बच्चे के पैदा होते
बाधा
आगे बढ़ने वाला व्यक्ति किसी को बाधा नहीं पहुँचाता। आगे बढ़ने वाला तो रास्ता छोड़ता हुआ/ रास्ता बनाता हुआ/ बाधाओं को हटाता हुआ ही आगे
मूर्ति
मूर्ति बनाने में एकेन्द्रिय जीवों की विराधना तो होती है पर मूर्ति के दर्शन से अनेकों जीव एकेन्द्रिय होने से बच जाते हैं। मुनि श्री
साक्षरता
जो साक्षर नहीं वे भी सच्ची श्रद्धा/ ज्ञान/ चारित्र प्राप्त कर सकते हैं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
क्षयोपशम
क्षयोपशम में जब उदयाभावी क्षय होता है तो उपशम क्यों ? योगेन्द्र उपशम में कर्म की शक्ति कम करके उदय से पहले अभाव किया जाता
सुविधा
सुविधाओं में जितना उलझोगे, दुविधायें उतनी ही बढ़ेंगी। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अंत:कृतांग
यह द्वादशांग का आठवाँ अंग है। इसमें हर तीर्थंकर के काल के दस-दस अंत:कृत केवलियों के उपसर्ग आदि का वर्णन है। जैसे भगवान महावीर के
विश्वास
विश्वास उबारता है, अविश्वास तथा अतिविश्वास दोनों ही डुबाते हैं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मनुष्य / देव
देवों से मनुष्य को बेहतर क्यों कहा क्योंकि वह संयम धारण करके अपना आत्मकल्याण कर सकता है। पर जो मनुष्य संयम धारण नहीं कर रहे
अभ्यास
आज कोयल की आवाज़ इस सीज़न में पहली बार सुनी। शुरु में तो अजीब सी आवाज़ आ रही थी, काफ़ी देर बाद सुरीला स्वर निकला।
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