Month: July 2023
तीर्थंकरों के अवधिज्ञान
तीर्थंकरों के कौनसा अवधिज्ञान ? योगेन्द्र संयम लेते ही तीर्थंकरों के सर्वावधिज्ञान हो जाता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सिद्धि
जब तक रिसेगा* नहीं, तब तक सीझेगा** नहीं। चिंतन * धर्म आचरण में आना ** दाल पकना/ कार्य सिद्धि
काललब्धि
मंदिर जाने के लिये भजन अलार्म के रूप में बजता था। संक्लेष मिटाने तथा पूरा भजन सुनने के लिये, तैयार होने पर बजाने लगा। ये
शक्ति
आज शक्तिहीन इसलिये क्योंकि कल जब शक्ति थी तब शक्ति को छुपाया/ उसका दुरुपयोग किया था। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी (आज यदि शक्तिमान हो
स्व/स्वरूप संवेदन
स्व संवेदन… मैं हूँ/ आत्म संवेदन। स्वरूप संवेदन जैसे गर्म पानी जो उसका स्वभाव नहीं है (पर वर्तमान में उसका स्वरूप गर्म है) मुनि श्री
मोक्षमार्ग
मोक्षमार्ग पर चलना नहीं, रुकना होता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
चार पुरुषार्थ
अर्थ और काम पुरुषार्थ जब मोक्ष के हेतु किया जाता है, वही धर्म पुरुषार्थ बन जाता है। मुनि श्री सुधासागर जी
लोभ
गहरे समुद्र में सांस घुटने से मछलियां नहीं मरतीं पर ज़रा से दाने के लोभ में लाखों जाल में फंसकर जान गँवाती हैं। निर्यापक मुनि
सूतक दाढ़ी का
दाढ़ी बनाने का सूतक 6 घंटे का लिखा तो है पर जब बाज़ार में बनवायी जाये तब, खुद तो सुबह और भी गंदे काम करते
सृष्टि की व्यवस्था
सृष्टि अनमोल ख़जानों से भरी है पर एक भी चौकीदार नहीं है। व्यवस्था ऐसी की गयी है कि अरबों लोगों के आवागमन के बावजूद कोई
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