Month: September 2023
उत्तम तप-धर्म
अग्नि(तप) समाप्त तो पंचम काल समाप्त। जब तक गर्माहट, तब तक जीवन। गर्म पानी की भाप उर्धगमन, ठंडा बर्फ हथियार बन सकता है। पानी(स.दर्शन) तपे
उत्तम तप धर्म
घी दूध को तपाने पर प्राप्त होता है, हलकी-हलकी आग, सुपात्र(मिट्टी) में तपाने से ज्यादा तथा सुगन्धित घी मिलता है। ऐसे ही नर से नारायण
उत्तम संयम-धर्म
संयम से अतीत का प्रक्षालन, भविष्य में पुरानी गलतियाँ ना दोहराने का संकल्प तथा वर्तमान की शुद्धि होती है। संयम सहित ज्ञान, आम का पेड़
उत्तम संयम धर्म
संयम चिमनी है, ज्ञान के दीपक को बाहरी हवाओं/ स्वयं की साँसों से बचाने तथा प्रकाश बढ़ाने के लिए। राजा का महल जल गया पर
उत्तम सत्य-धर्म
भगवान के अनेक नामों में बहुत से नाम सत्य रूप अवस्थित हैं। क्योंकि उसके सत्य वचन योग होता है (असत्य योग नहीं होता)। सत् की
उत्तम सत्य धर्म
सत्य तो आत्मा का स्वभाव है। तभी बोला जा सकता है जब रागद्वेष ना हो। ———————————————– झूठ वह जिसे बोलने से पहले सोचना पड़े। सत्य
उत्तम शौच-धर्म
आचार्य श्री समंतभद्र स्वामी ने अरहंत भगवान को भी शौच-धर्म युक्त नहीं कहा, सिर्फ सिद्ध भगवान की शौच-धर्म पूर्णता मानी है। मुनि श्री मंगल सागर
उत्तम शौच धर्म
शौच धर्म = अलोभ। इच्छायें जमीनी धरातल से मेल नहीं खाती, उस Gap को कम करते जाना शौच-धर्म है। लोभ = जो मेरा नहीं, वह
उत्तम आर्जव धर्म
मायाचारी ज्ञानावरण, दर्शनावरण कर्मबंध में कारण है क्योंकि तत्त्वार्थसूत्र जी में निह्नव, मात्सर्य निमित्त कहे हैं। मन,वचन,काय की स्थिरता केवलज्ञान प्राप्ति में हेतु है। तो
उत्तम आर्जव धर्म
आर्जव यानी सरलता। हालांकि सरल होना सरल है नहीं। चुगली भी मायाचारी का एक रूप है। कम से कम देव, शास्त्र, गुरुओं के साथ तो
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