Month: September 2023

पुदगल भेद

विज्ञानानुसार पुदगल के 3 भेद → ठोस, तरल, गैस। जैन दर्शनानुसार 6 भेद हैं → स्थूल-स्थूल → टूटने पर, दुबारा न जुड़े – जैसे लकड़ी,

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पुरुषार्थ

तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे/ बहुत दूर निकल सकते थे। तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह; तुम यदि नदिया बनते

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अहोभाग्य / सौभाग्य

सौभाग्य → त्रैकालिक (भूत, भविष्य, वर्तमान)। अहोभाग्य → वर्तमान का।। (अहोभाग्य जो सौभाग्य को Cash करले)* इसलिये अहोभाग्य, सौभाग्य से बहुत महत्वपूर्ण है। आचार्य श्री

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सल्लेखना

1982 में ब्र. राजाराम जी नैनागिर में सल्लेखना कर रहे थे। जल पर आ गये थे। एक दिन उनकी नज़र सेब पर जा रही थी।

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गुणों की भावना

तीर्थंकर बनने की भावना से ज्यादा उनके गुणों की भावना/ चिंतवन से विशुद्धि तथा तीर्थंकर प्रकृति का बंध हो सकता है। ज्ञान से ज्यादा ज्ञान

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धर्मात्मा

धर्मात्मा पुण्यहीन …. पुजारी, पूरा जीवन गरीबी के साथ धार्मिक क्रियाएँ करता रहता है। धर्मात्मा पुण्यवान …. आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज। मुनि श्री प्रमाणसागर

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जैन दर्शन

जैन दर्शन प्रजातांत्रिक है; हर आत्मा शिखर तक जा सकता है/ गये हैं/ जा रहे हैं/ जाएँगे। अन्य दर्शनों में एक ही आत्मा/ परमात्मा था/

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दिखावे का धर्म

दिखावे के धर्म में पुण्य/ लाभ कम, पर दूसरों पर धर्म की प्रभावना पूरी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मंगल आशीष

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