Month: September 2023
आहार
कर्म वर्गणाएं/ आहार जीव के लिये हर जगह उपलब्ध हैं, ग्रहण भी करता रहता है (हवा/ पानी), उससे शक्ति भी आती है। कवलाहार तो अतिरिक्त
सुख / दु:ख
सुख/ दु:ख एक ही बगिया के पौधे हैं। इन्हें लगाने/ सींचने/ संवारने/ बढ़ाने वाले माली हम खुद ही हैं। (सुरेश)
शुभ-अशुभ
शुभ स्थान पाने के लिये बहुत मेहनत करना होता है जैसे सर्वोत्तम स्थान पाने 7 राजू चढ़कर सिद्धशिला मिलती है। अशुभ के लिए कोई स्थान
प्रतिक्रिया
प्रतिक्रिया वहाँ जरूर दें जहाँ सुलझने की संभावना हो। जहाँ उलझने की संभावना हो, वहाँ शांत। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मरण के बाद
मरण के बाद शव के न तो पैर छूने चाहिए, ना ही परिक्रमा देनी चाहिए और सुहागन का श्रृंगार भी नहीं करना चाहिए। निर्यापक मुनि
धर्म
धर्म संसार की चकाचौंध से दूर तो नहीं कर सकता। पर धर्मरूपी (धूप का) चश्मा लगाने से आँखें खराब नहीं होंगी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर
नरकों में पटल
पहली पृथ्वी (नरक) में 13 पटल। नीचे-नीचे, दो-दो कम होते हुए सातवीं में 1 पटल। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा – 524)
धर्मध्यान
गृहस्थ हर समय धर्मध्यान करे तो गृहस्थी नष्ट (जैसे साधु की)। धर्मध्यान न करे तो गृहस्थी भ्रष्ट। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
भोजन
तीव्र लालसा/ गृद्धता से ग्रसित ही अमर्यादित भोजन करते हैं। इसमें मांसाहार का दोष लगता है। जहाँ सामिष भोजन बनता हो, वहाँ दोष रहित रह
पुण्य / पाप
हिंसा/ झूठादि पाप हैं तो अहिंसा/ सत्यादि पुण्य क्यों नहीं ? अहिंसादि व्रत हैं जो पुण्य से बहुत बड़े/ ऊपर हैं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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