Month: October 2023

ज्ञानोपयोग

1. प्रारम्भिक अवस्था… इष्ट/ अनिष्ट को जानना 2. मध्यम… इष्ट को ग्रहण/ अनिष्ट को छोड़ना 3. अंतिम अवस्था… तटस्थ रहना/ बाहरी ज्ञेय से हट कर

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शेष

ज़िंदगी जो “शेष” बची है, उसे “विशेष” बनाइये वरना उसे “अवशेष” बनने में देर नहीं लगेगी। (डॉ. सविता उपाध्याय)

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नय / एकांत

नय…. एक दृष्टि/अपेक्षा/कथंचित, एकांत… ये दृष्टि ही सही। चिंतन

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बिम्ब / प्रतिबिम्ब

बिम्ब से प्रतिबिम्ब बनता है, लेकिन प्रतिबिम्ब से बिम्ब की पहचान होती है। (रेणु- नया बाजार मंदिर)

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नय

चूना सफेद, हल्दी पीली… निश्चय, दोनों मिलकर लाल…… व्यवहार। “नय” विवादों को सुलझा देता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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भगवान से मिलन

मैं खोज रहा था प्रभु को वे खोज रहे थे मुझे। अचानक एक दिन मिल गए। न मैं झुका, न वे झुके। न वे बड़े

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पुदगल / जीव

पुदगल एक प्रदेश से प्रारम्भ होकर संख्यात, असंख्यात, अनंत प्रदेशी तक। पर जीव में एक ही विकल्प… लोक का असंख्यातवाँ भाग (अवगाहना की अपेक्षा), समुद्धात

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बिम्ब / प्रतिबिम्ब

तीर्थयात्रा से लौटने पर कहा गया… आपके जाने से सूना हो गया था। भगवान के जाने पर मंदिर सूने नहीं हुए। क्योंकि वहाँ भगवान के

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सम्यग्दर्शन

सम्यग्दर्शन तलवार की धार जैसा होता है। तलवार के टुकडे हो जाएं, धार वैसी की वैसी बनी रहती है।

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पाप/पुण्योदय

दहला देता था वीरों को, जिनका एक इशारा; जिनकी उंगली पर नचता था, ये भूमंडल सारा। कल तक थे जो वीर, धीर, रणधीर अमर सैनानी;

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मंगल आशीष

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