Month: October 2023

सासादन सम्यग्दर्शन में भाव

सासादन गुणस्थान उपशम सम्यग्दर्शन से गिरते समय होता है। दर्शन-मोहनीय की विवक्षा से न उदय, न उपशम महत्व का है, ना ही क्षयोपशम काम कर

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मन

मन कोमल होता है तब ही तो आकार ले लेता है गर्म लोहे की तरह, झुक जाता है तूफानों में। घुल जाता है अपनों में

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अलौकिक ज्ञान

अलौकिक ज्ञान जो सामान्य लोगों को नहीं दिया जाता/ वह ज्ञान जो लौकिकता से ऊपर उठा हुआ हो जैसे जीवकांड का ज्ञान। पर इसे पारलौकिक

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चाह

चाह बुरी नहीं, यह तो नाव की गति के लिये आवश्यक जलप्रवाह है। पर वह प्रवाह बाढ़ नहीं बननी चाहिए वरना जीवन की नाव डूब/

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आयुबंध

शैल समान क्रोध में भी आयुबंध हो सकती है, बस इसके उत्कृष्ट काल में आयुबंध नहीं होगी। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जिज्ञासा समाधान – 25.5.21)

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पथ्य

पथ्य* जो पथ में लिया जाता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी * रास्ते के लिए भोजन सामाग्री/ अगले जन्म को जाते समय पुण्य कर्म।

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सच्चा

सिर्फ तीन के आगे “सच्चा” शब्द लगता है – सच्चे देव, शास्त्र, गुरु। यानी इन तीन के अलावा बाकि सब झूठे/ भ्रम हैं। चिंतन

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गुण ग्राहिता

भगवान के अनंत गुणों में से उस गुण की चाह करें जो हमारी कमजोरी हो। आज तक बस गुणगान करते रहे, इसलिए भगवान का कोई

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सासादन

सासादन के साथ सब ग्रंथों में सम्यग्दर्शन शब्द का प्रयोग किया है। मिथ्यात्व गुणस्थान आगे होने वाली पर्याय। सासादन का काल – पल्य का असंख्यातवाँ

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विश्वास

विश्वास तब जब बुद्धि के परे हो, फिर चाहे संसार हो या परमार्थ। विश्वास किया जाता है, दिया नहीं जाता। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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