Month: November 2023
सम्यग्दर्शन
1 से 3 गुणस्थान में अधर्म क्योंकि सम्यग्दर्शन नहीं है। शील/ महाव्रत/ अखंड ब्रम्हचर्य, सब द्रव्य संयम, एक जन्म के; सम्यग्दर्शन (भावात्मक) जन्मजन्मांतरों का। ज्ञान
सोच
अपना सोचा, ना हो, अफसोस है*, फिर भी सोचो**। आचार्य श्री विद्यासागर जी (* होगा वही जो भाग्य में लिखा है। ** क्योंकि पुरुषार्थ करना
आहारक शरीर
आहारक शरीर की सीमा सामान्यत: मनुष्यलोक तक। आचार्य श्री विद्यासागर जी चूंकि ये समुद्घात है सो नन्दीश्वर द्वीप के जिनालयों की वंदना को भी जा
सत्य
“साँच को आँच नहीं” कहावत कथंचित सीता जी की अग्नि परीक्षा से प्रेरित है, जब उनको अग्निकुण्ड में आँच तक नहीं आयी थी। निर्यापक मुनि
आहारक
आहारक क्यों कहा ? आहार में ग्रहण (भोजन का), आहारक में ज्ञान का ग्रहण (शंका समाधान करके)। संदेह होते हुए भी निशंकित अंग कैसे बना
बुद्धि / समझदारी
आइंस्टिन के पास एक भारतीय गया और एक खेल शुरू किया → आइंस्टिन एक प्रश्न रखेंगे यदि भारतीय जबाब नहीं दे पाया तो उसे 5
रूपी / मूर्तिक
मूर्ति स्थिर होती है, सो जिसका आकार स्थिर हो वह मूर्तिक। आत्मा → अमूर्तिक (आकार बदलता रहता है, पर्यायों के अनुरूप); अरूपी (सूक्ष्मता तथा स्वभाव
सकारात्मकता
ना, मत बोलो, “हाँ” की कूबत देखो, दंग रह जा। आचार्य श्री विद्यासागर जी
वेद-वैषम्य
द्रव्य-वेद तो पुण्य/ पाप से मिलता है। भाव-वेद नोकषायों/ वेदों में लिप्तता से, जिस वेद में रुचि, वही भाव-वेद मिलेगा। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड-
भगवान से माँग
भगवान से बल मांगते हैं, क्या वे बल देते हैं ? कमज़ोर आदमी का स्मरण/ संगति से कमज़ोर होने लगते हैं। हनुमान भक्त युद्ध में “जय
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