Month: November 2023

नय

नय दो प्रकार का है – 1. दुर्नय… मेरा दृष्टिकोण ही सही है। 2. सुनय… यह मेरा दृष्टिकोण है (सही का आग्रह नहीं)। क्षु.श्री जिनेन्द्र

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दया / करुणा

दया…….दु:ख न हो जाय/ दु:ख न देना। करुणा… दु:ख में से निकालना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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पर्याय

पर्याय का ज्ञान होना बाधक नहीं है, पर्याय में मूढ़ता का आ जाना बाधक है। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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देवदर्शन

क्या देवदर्शन टी.वी. पर करने से काम चलेगा ? क्या पिता के जीवित रहते, उनके दर्शन फोटो पर करने से काम चलेगा? साक्षात दर्शन के

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कर्म सिद्धांत

जैन दर्शन का कर्म-सिद्धांत पूर्ण स्वतन्त्र है। इसमें भगवान तक पर Dependency/ उनका Interference Allowed नहीं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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परिषह-जय

परिषह = सब ओर से, प्रतिकूलता परिषह-जय – सब ओर से सहना, प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूल महसूस करना। इससे कर्मों का संवर और निर्जरा होती

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कर्तव्य / कर्तृत्व

कर्तव्य – सामने वाले को एक बार समझाना, कर्तृत्व – बार-बार कहना/ पीछे पड़े रहना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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उपयोग

शुद्धोपयोग भी केवलज्ञान की अपेक्षा से अशुद्धोपयोग है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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धर्म की इमारत

दया/ सेवा नींव है। Ritual इमारत, Spirituality शिखर। बिना नींव के इमारत बनेगी नहीं, सिर्फ नींव इमारत कहलायेगी नहीं । बिना शिखर के धार्मिक इमारत

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मंगल आशीष

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