Month: January 2024

दिव्यध्वनि

दिव्यध्वनि को अपने क्षयोपशम के अनुसार जघन्य, मध्यम, उत्कृष्ट समझते हैं। महत्वपूर्ण यह नहीं कि कितना समझे बल्कि यह है कि क्या समझ रहे हैं

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विसंवाद

दो लोग संवाद करते हैं, वे दो नहीं छह होते हैं – दोनों के तीन तीन मन, वचन, काय। (जब इस तथ्य को ध्यान में

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षट स्थान पतित/ वृद्धि

पतित वृद्धि दोनों एक साथ कैसे ? योगेन्द्र पहले अनंत भाग, फिर असंख्यात भाग, संख्यात भाग हानि, संख्यात गुणी वृद्धि, असंख्यात गुणी, अनंत गुणी वृद्धि।

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ऊँचाई

कितने बड़े-बड़े जंगलों में बड़ी-बड़ी अग्नि लगी/ कितनी बार प्रलय आयी, पर आसमान गरम तक नहीं हुआ| कारण ? बहुत ऊँचाई पर है। यदि हम

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स्तबक–संक्रमण

कर्म के उदय में आने के एक समय पहले जो संक्रमण हो, उसे स्तबक–संक्रमण कहते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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पुण्य-लाभ

स्वयं के स्नान करने का उद्देश्य यदि भगवान का अभिषेक हो तो बहुत पुण्य-बंध। भगवान का अभिषेक करते समय यदि अपने नहाने का ध्यान किया

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14 पूर्व

14 पूर्व बहुत बृहत ज्ञान है, इसलिये अलग से Mention किया गया (12वें अंग के भेद) सामान्य से सबको कहा जाता है, विशेष को अलग

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Reaction

An eye for an eye makes the whole world blind. – Mahatma Gandhi Ji (You can’t solve violence with violence)

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आरम्भ

8 वीं प्रतिमाधारी (आरम्भ त्याग) 5 आरम्भ नहीं करता है – 1. चूल्हा → आहार देने के लिये भी नहीं 2. चक्की → आहार देने

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गुरु

गुरु दर्शन कठिन (चक्षु इन्द्रिय से) गुरु आर्शीवाद दुर्लभ (कर्ण इन्द्रिय से) गुरु वचन दुर्लभ से दुर्लभ (मन, कर्ण इन्द्रिय से) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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मंगल आशीष

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January 31, 2024