Day: January 2, 2024

सिद्ध

सिद्ध में न मार्गणा ना ही गुणस्थान, उनके न संयम होता है ना ही असंयम, क्योंकि वे साधना से रहित हो गये हैं। मुनि श्री

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गुरु

गुरु के प्रति समपर्ण/ अर्पण* करने पर वे दर्पण बन जाते हैं, जीवन पर्यंत के लिये। उनके जीवनकाल में ही नहीं, उनके न रहने पर

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मंगल आशीष

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January 2, 2024