Month: January 2024
कर्म का बँटवारा
कर्म प्रकृतियों का एक भाग सर्वघाति को मिलता है तथा अनंत बहुभाग देशघाति को मिलता है । (तभी क्षयोपशम सम्भव होगा…कमला बाई जी) कर्मकांड़ गाथा–
छोटे का महत्व
इकाई से ही दहाई आदि बड़ी-बड़ी संख्यायें बनतीं है। मुनि श्री सुप्रभसागर जी
नोकषाय
प्राय: छोटे को छोटा मानकर छोड़ देते हैं जैसे नोकषाय। 4 कषायों की चर्चा बहुत होती है। पर नोकषायों के कर्मफल भी बहुत कष्टप्रद होते
सुख
सुख चाहते हो तो सद्गृहस्थ बनो। सच्चा सुख चाहते हो तो साधु बनो। चिंतन
क्षायिक-दान
सिद्धों में क्षायिक-दान कैसे घटित करेंगे ? सिद्धों को ध्यान/ अनुभूति में अपने पास लाकर अभय का अनुभव करके। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र-
बोलना
कविता में अनुशासन होता है; शब्दों का Repetition न होने आदि का। इसीलिये उसे बार-बार सुनने का मन होता है, सुहावनी होती है। गद्य में
कर्मोदय का प्रभाव
कर्मोदय का प्रभाव व्यक्ति विशेष पर ही नहीं, आसपास के व्यक्तियों पर भी होता है। जैसे आदिनाथ भगवान के कर्मोदय से सौधर्म इंद आहार विधि
लत
Addiction बुरी चीजों का तो बुरा होता ही है, अच्छी आदतों का भी अच्छा नहीं होता। चाहे वह पूजा/ स्वाध्याय/ दानादि का ही क्यों न
पुष्पवृष्टि
क्या केवलियों पर पुष्पवृष्टि भोगांतराय कर्म के क्षय से होती है ? सामान्य केवली के कल्याणकों पर भी वृष्टि होती है, पर कुछ समय के
विद्या
विद्या को बांटा नहीं जाता बल्कि योग्य व्यक्ति को खोजकर दी जाती है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
Recent Comments