Month: May 2024
सम्यग्दर्शन
क्षायिक सम्यग्दर्शन में दर्शन मोहनीय के क्षय में 4 अनंतानुबंधी लीं। वेदक सम्यग्दर्शन में दर्शन मोहनीय के उदय में सम्यक् प्रकृति ली। उपशम सम्यग्दर्शन में
सूतक
जन्म/ मरण में अच्छा/ बुरा लगने से सूतक लगता है। अच्छा/ बुरा लगने से सुख/ दु:ख होता है। सुखी/ दु:खी होने से शरीर में रिसाव
वेदक सम्यग्दर्शन
वेदक = अनुभव करने वाला। किसका ? सम्यक् प्रकृति का। वेदक सम्यग्दर्शन: दोष सहित, अगाढ़। जैसे लाठी यदि ज़मीन में गढ़ी नहीं है, बस, ज़मीन
भेद विज्ञान
आभूषण में सोने और खोट की पहचान करना भेद विज्ञान है। महत्व सोने का ही नहीं, खोट का भी होता है क्योंकि खोट के बिना
निमित्त / उपादान
हर वस्तु में दो शक्तियां → निमित्त तथा उपादान। नर्मदा की निमित्त शक्ति अन्य नदियों से बहुत ज्यादा, तभी तो इनके तटों से अनेक जीव
बुद्धिमत्ता / विद्वत्ता
बुद्धिमत्ता विद्वत्ता में अंतर ? सुमन बुद्धिमत्ता में बुद्धि की प्रमुखता, विद्वत्ता में बोधि(विवेकपूर्ण ज्ञान)की प्रमुखता रहती है। चिंतन
पदार्थ
मुख्य रूप से → जीव, अजीव। इनके दो-दो भेद → पुण्य व पाप प्रकार के। पुण्य जीव रूप → सम्यग्दृष्टि/ पुण्य में प्रवृत्ति करे। पाप
जीवन
जो जवान था, वह बूढ़ा होकर, पूरा* हो गया। आचार्य श्री विद्यासागर जी (*सिर्फ उम्र पूरी करके पूरा होना है या गुणों से परिपूर्ण होकर
बुद्ध
बुद्ध यानी वैराग्य को प्राप्त। प्रकार => 1. बोधित बुद्ध – वैराग्य के उपदेश सुनकर एक समय में उत्कृष्ट से बोधित बुद्ध = 108 स्वर्ग
शांति
शांति के लिये –> 1. अभिलाषा छोड़नी होगी। 2. समता धारण। 3. व्यापकता। 4. निस्वार्थता। 5. पारमार्थिक शांति के लिये सर्वलोकाभिलाषा का त्याग। क्षु. श्री
Recent Comments