Month: August 2024

मोक्षमार्ग

मोक्षमार्ग पर चलने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उस पर बने रहना। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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जादूगर

इस संसार का सबसे बड़ा जादूगर स्नेह(मोह) है। आचार्य श्री विद्यासागर जी (जादूगर जो होता नहीं उसे सच करके दिखाता है। मोह भी अहितकारी को

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गुरु

गुरु वह जो शरीर को (आत्मा से) ज्यादा महत्व न दे। महावीर भगवान की दिव्यध्वनि 66 दिन “दलाल” के अभाव में नहीं खिरी। बड़े व्यापारों*

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धर्म / अध्यात्म

धर्म……….क्रियात्मक (मुख्यता से), अध्यात्म… भावात्मक। लेकिन धर्म की क्रियाओं को भावों के साथ करेंगे तभी भावात्मक अध्यात्म जीवन में आयेगा। चिंतन

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स्कंध की गति

परमाणु ही नहीं, स्कंध भी एक समय में 14 राजू गति करता/ कर सकता है (विग्रह गति में कर्म रूप)। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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अहिंसा

मानसिक अहिंसा, अनेकांत से ही संभव है। डॉ. ब्र. नीलेश भैया

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तीर्थंकर / अवतार

तीर्थंकर… पुण्यवानों का कल्याण करने, अवतार… पापियों का नाश करने। कारण ? तीर्थंकर तो अहिंसा का प्रतिपादन करने आते हैं सो नाश कर ही नहीं

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सोच

विचार ऐसे रखो कि तुम्हारे विचारों पर भी विचार करना पड़े। समुद्र जैसे बड़े बनने से क्या, तालाब जैसे छोटे बनो जहाँ शेर भी पानी

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सिद्ध भगवान

सिद्ध भगवानों का ज्ञान एक स्तर पर होता है। वे परम ज्ञानी हैं यानी जो ज्ञानी होगा उसके ज्ञान का लेवल एक होगा। यही केवलज्ञान

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कर्म

यहाँ न बादशाह चलता है, ना ही इक्का चलता है। खेल है कर्मों का, यहाँ कर्मों का सिक्का चलता है। (रेनू-नयाबाजार)

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मंगल आशीष

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August 11, 2024