Month: September 2024
एकत्व
जीव अकेला ही कर्म करता है और अकेला ही संसार में हिंडोले की तरह भ्रमण करता रहता है। अकेला ही पैदा होता है, अकेला ही
दिशा निर्देश
ब्रह्मचारी बसंता भैया श्री दीपचंद वर्णी जी से तीर्थयात्रा जाते समय, दिशा निर्देश मांगने गये। 3 रत्न हमेशा पास रखना – क्षमा, विनय, सरलता तथा
अनुयोग
बनती हैं भूमिकायें – प्रथमानुयोग से, आतीं हैं योग्यतायें – करुणानुयोग से, तब पकती पात्रतायें – चरणानुयोग से, फिर आत्मा झलकती – द्रव्यानुयोग से। मुनि
निंदक नियरे राखिए…
कोई चोर आपके घर में घुसे, सोने चाँदी को तो देखे भी नहीं, आपके घर की गंदगी उठा ले जाए तो आपको दु:ख होगा क्या
पर्याय कथंचित् नित्य भी
द्रव्यों के विशेष गुणों का नाश न होने से पर्याय कथंचित् नित्य भी। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 5/4)
जीवन / मरण
जीवन मरण सिक्के के दो पहलू हैं। एक जितना बड़ा/ मूल्यवान होगा, दूसरा भी उतना ही (जैसे साधुजन/ भगवान का)। “सौफी का संसार” (जॉस्टिन गार्डर)
अशुद्ध आत्मा
अशुद्ध आत्मा तो अजीव से भी बदतर! अजीव तो अपने स्वभाव/ गुणों को बनाये रखते हैं। अशुद्ध आत्मा स्वभाव/ गुणों का घात कर देती है।
हड़पना
आजकल हड़प्पा(हड़पना) पद्धति चल रही है। लेकिन ध्यान रहे… अगले जन्म में यदि हड़पने वाला पेड़ बना तो जिसका हड़पा है वो साइड में यूकेलिप्टिस
मंत्र
मंत्र का एक अक्षर कम/ ज्यादा/ गलत होने से सिद्धि नहीं होती लेकिन अंजन चोर को तो णमोकार मंत्र आता ही नहीं था,उसे कैसे सिद्धि
भेड़-चाल
स्वर्ग में सिंहासन भर गये। एक नये देवता ने सिंहासन खाली कराने के लिये अफवाह फैला दी कि नरक में बहुत सुंदर स्वर्ग बनाया जा
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