Month: September 2024
उत्तम आर्जव
आर्जव-धर्म यानी सरलता/ चिंतन कुछ संभाषण कुछ क्रिया कुछ की कुछ होती है। कभी न कभी कपटी के पट खुलते ही हैं जैसे शकुनि मामा।
कर्म-फल
रमेश ने मित्र सुरेश से 2000 रु. उधार लिये। रमेश के मन में बेईमानी आ गयी। सुरेश कर्म-सिद्धांत का विश्वासी, कहता –> लेकर जायेगा नहीं!
उत्तम मार्दव
मार्दव यानी मान का उल्टा/ मृदुलता। मनुष्य पर्याय में मान की बहुलता होती है जैसे जानवरों में मायाचारी की। कैसे प्राप्त करें मार्दव ? करता
देवों की अवगाहना
पहले दूसरे स्वर्ग में 7 हाथ*, 3-4 –> 6, 5-8 –> 5, 9-12 –> 4, अब ½, ½ हाथ कम होगी। 13-अः14 –> 3½, 15-16
उत्तम क्षमा
1) क्षमा शब्द में “क्ष” से क्षय/ खत्म होना। “मा” से माँ बचाने वाली, जो गुणों को क्षय होने से बचाए। 2) क्षमा मोक्ष का
उत्तम क्षमा धर्म
एकेन्द्रिय जीवों से क्षमा मांगने/ धारण करने के कारण —- 1. उनके बहुत उपकार हैं। उनके बिना हमारा जीवन चल नहीं सकता। 2. कुछ वनस्पतिकायिक
कर्म-बंध/उदय
जितना तीव्र कषाय के साथ कर्मबंध होगा उतनी देर से उदय में आयेगा, इसीलिए पापी लोग जो पाप तीव्रता के साथ करते हैं उनका उदय
कृतज्ञता / मान
घोर गर्मी में बारिश से मौसम सुहाना हो गया। मुँह से निकला…. प्रभु ! धन्यवाद। प्रभु तो कर्ता नहीं है, फिर ? कृतज्ञता। फायदा ?
स्त्री
इनमें प्राय: साधुता वाले गुण ज्यादा पाये जाते हैं…. स्थिरता, क्षमा, दया, वात्सल्य आदि। उम्र के साथ ये बढ़ते जाते हैं। इसका बड़ा प्रमाण यह
सम्यग्दर्शन / स्त्री पर्याय
सम्यग्दर्शन प्राप्त करने से पहले यदि स्त्री पर्याय बांध ली हो तो वह संक्रमित होकर पुरुष पर्याय में परिवर्तित हो जाती है। श्री रत्नकरण्ड श्रावकाचार
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