Month: October 2024

मद / कषाय

मद और कषाय में किसी एक मद या एक कषाय आने पर आठों मद या चारों कषाय आ जाती हैं। मुनि श्री मंगलसागर जी

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सुखी रहने के उपाय

सुखी रहने के उपाय –> दुखों को स्वीकारें; सुखों का प्रतिकार करें। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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कर्तादि

अहंकार मिथ्या है, क्योंकि सामने वाले का तिरस्कार उसके कर्मों के अनुसार ही होगा। ममकार –> मेरा कुछ है ही नहीं, फिर भी अपना मानना…

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मन

मन की आज्ञा मानना नहीं, नहीं तो नौकर कहलाओगे। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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आकाश

आकाश में गुरुत्वाकर्षण शक्ति हर जगह बनी हुई है, अलोकाकाश में भी। वह बादर तथा सूक्ष्म पदार्थों को भी प्रभावित करती है। विज्ञान मानता है

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अनादर

यदि कोई एक बार हमारा अनादर कर देता है, तो उस अनादर को हम सौ बार दोहराते हैं। यदि वह दंड का अधिकारी है, तो

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जीवाश्च

जीवाश्च… यहाँ “च” से लेना –> जीवरुपी (संसार अवस्था में), अरूपी भी (स्वभाव की अपेक्षा,संसारी अवस्था में भी) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र –

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मोह

जिससे मोह किया, वह आपको छोड़ेगा। मोह छोड़ा, तो आप उन्हें छोड़ेंगे। मुनि श्री मंगलसागर जी

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संस्कार

देव तथा नारकियों के संस्कार अगले भव में भी जाते हैं। अतः नरक से आये जीव पुण्य पर्याय में नहीं जाते। तीर्थंकर इसके अपवाद हैं,

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ज्ञानी

जो चीज़ों को नज़रअदाज़ करे/ करने का प्रयास करे, वही ज्ञानी। ब्र. डॉ. नीलेश भैया

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मंगल आशीष

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October 21, 2024