Month: October 2024

चल अचल प्रदेश

आत्मा में 8 अचल प्रदेश नाभि स्थान पर। पुद्गल में भी होते होंगे। एक प्रदेशी अणु में ? उसे तो चल ही मानना होगा क्योंकि

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संसार

साधु और गृहस्थ दोनों संसार में, पर संसार में साधु तथा गृहस्थ में संसार। गृहस्थ संसार का स्वाद जानता (उसमें आनंद लेता) है, साधु संसार

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प्रायश्चित

‘प्रायः’ से सन्यास + ‘चित्त’ से मन (श्री रयणसार जी)। यानी मन में सन्यास भाव होंगे तभी प्रायश्चित्त होगा। कुली (बोझा ढोने वाला) नहीं, यात्री

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संसार-चक्र

शेर की मांद के बाहर जानवरों के आने के ही पदचिह्न दिखते हैं, लौटने के नहीं। संसार में एक बार घुसने पर विरले ही निकल

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संहनन / देवगति

वज्र वृषभनाराच संहनन वाले सर्वार्थसिद्धि तक, वज्रनाराच संहनन + नाराच संहनन 9 ग्रैवेयक तक, अर्द्ध नाराच संहनन वाले 16 स्वर्ग तक, कीलक संहनन वाले 12

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पंचम काल

पंचम काल में ज्यादातर एक आँख वाले ही पैदा होते हैं, छठे काल में अंधे। पहली आँख की रोशनी से सम्यग्दर्शन/ अष्टमूल गुण पालन, दूसरी

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अंतरंग

गांधीनगर अक्षरधाम में पहली मूर्ति एक व्यक्ति की, अधबनी मूर्ति में पत्थर में से छेनी/हथौड़े से अपने आप की सुंदर सी मूर्ति बना रहा है।

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चारित्र

भगवानों के वर्धमान चारित्र होते हैं। पंचमकाल में हीयमान। पर आचार्य श्री विद्यासागर जी के समय में तो वर्धमान दिख रहा है ? आचार्य श्री

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पुण्य / पाप

चोरी* करने की अनुकूलता/ कर पाना/ सफलता मिलना पुण्योदय से। चोरी करने में पाप-बंध। फल ? पापोदय जैसे असाध्य रोग/ दुर्गति/ गरीबी आदि। आर्यिका श्री

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मंगल आशीष

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October 16, 2024