Day: November 19, 2024

स्व-पर

वस्तु तो “पर” है ही, तेरे भाव भी “पर” हैं क्योंकि वे कर्माधीन हैं। फिर मेरा क्या है ? सहज-स्वभाव* ही तेरा है।…. (समयसार जी)

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मिथ्यात्व के कारण

हाथ की चार उंगलियां अविरति आदि तथा अंगूठा मिथ्यात्व के कारण। चारों उंगलियां मिथ्यात्व की सहायक हैं। जब मुट्ठी बँधती* है तब मिथ्यात्व(अंगूठे) को अविरति

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मंगल आशीष

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