Day: November 20, 2024

सोलह कारण भावना

पहले दर्शन-विशुद्धि भावना भाना आवश्यक नहीं। सोलह भावनाओं में से हर भावना बराबर महत्त्वपूर्ण है/ स्वतंत्र कारण है तीर्थंकर प्रकृति बंध में। (श्री षट्खंडागम, उनकी

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मद

आजकल हर व्यक्ति में डेढ़ अक्ल है। एक ख़ुद की, आधी पूरी दुनियाँ की अक्ल का जोड़। ब्र. भूरामल जी(आचार्य श्री विद्यासागर जी के गुरु

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मंगल आशीष

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