Month: November 2024
विसंवाद
विसंवाद…. अन्यथा प्रवृत्ति कराना/ मिथ्यामार्ग पर लगा देना/ दुर्व्यवहार/ ग़लत को सही ठहराना जैसे अंडा शाकाहारी होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र –
दुनिया
दुनिया उसको कहते भैया जो माटी का खिलौना* है, मिल जाए तो माटी** भैया, ना मिले तो सोना*** है। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी(29 अक्टूबर)
सम्यग्दर्शन
यदि सम्यग्दर्शन को बंध (देवायु) का कारण मानें तो मुक्ति का क्या कारण मानें ? दोनों कारण मानने में भी आपत्ति नहीं, जैसे छाता गर्मी
वैराग्य / तत्वज्ञान
वैराग्य से संसार छूटता है। तत्वज्ञान* से मोक्षमार्ग पर बने रहते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी * धर्म का ज्ञान।
वर्तमान
वर्तमान ही मेरा है। भूत और भविष्य तो “पर” हैं। भूत अटकाने वाला, भविष्य भटकाने वाला। वर्तमान में स्थिरता है। चिंतन
भक्ति
भक्ति में चारों दान –> मानसिक पुष्टि (औषधि दान), तालियों से शरीर पुष्ट (आहार), परम्परा निभाई (अभय), विनती आदि (ज्ञान दान)। ब्र. डॉ. नीलेश भैया
दिगम्बरत्व / अचेलकत्व
दिगम्बरत्व मुनियों के मूलगुणों में (21) तथा अचेलकत्व शेष गुणों (7) में। दोनों का अर्थ एक सा होते हुए भी दिगम्बरत्व बाह्य तथा अचेलकत्व अंतरंग(आसक्ति
व्यक्त / अभिव्यक्त
प्रश्न यह नहीं कि आपके पास शक्ति, सामग्री, संपत्ति कितनी है ! प्रश्न है कि व्यक्ति कैसा है!! क्योंकि यह तीनों तो अधम को भी
सहनशक्ति की सीमा
सहनशक्ति की सीमा आगमानुसार 10 भव है जो भगवान पार्श्वनाथ के पूर्व के भवों में देखी जाती है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
कर्मोदय
जैसे नख और केश बार-बार उग आते हैं, वैसे ही कर्मोदय है। आचार्य श्री विद्यासागर जी (जैसे नख/ केश को बार-बार काटना पड़ता है ऐसे
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