Month: November 2024

ज्ञान

लौकिक जो संसार बढ़ाये। अलौकिक जो संसार घटाये। (धर्म का) पारलौकिक जो संसार से परे का हो जैसे आत्मादि। चिंतन

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व्यवहार

द्रव्य संग्रह जी में कहा है… “पुद्गल के सुख दुःख है”, यह व्यवहार से कहा है/ “पर” वस्तु से सुख दुःख की अपेक्षा से कहा

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Thinker

The Thinker* sees the invisible, feels the intangible**, and achieves the impossible. (J.L.Jain) (*जैसे भगवान/ Omniscient observer)। (**जो स्पर्श से जाना न जा सके/ जिसमें

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स्वभाव / विभाव

जीव का स्वभाव तो दया है तो हिंसक पशुओं में कैसे घटित करेंगे ? पर्यायगत विभाव को स्वभाव कहने लगे हैं। (मनुष्य पर्याय से अहिंसक

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साधना

पार्किंसंस रोग होने पर हाथ कंपने को रोकने के लिये कहते हैं –> “साधौ”। विचारों के चलायमानता को रोकने को साधना कहते हैं। मुनि श्री

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विभाव / स्वभाव

विभाव – जिसमें चाह कर भी लगातार/ बहुत देर नहीं रह सकते, तात्कालिक। स्वभाव – न चाहते हुए भी उस स्थिति में वापस आना पड़े,

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शिक्षा

शिष्य की शिक्षा पूर्ण होने पर गुरु ने तीन चीज़ें शिष्य को दीं… 1) दीपक… जो खुद जलता है/ दूसरों को प्रकाश देता है पर

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आचार्य उमास्वामी

तत्त्वार्थ सूत्र के रचयिता आचार्य उमास्वामी के नाम में “उमा” उनकी माँ तथा “स्वामी” उनके पिता का नाम है। माता-पिता को सम्मान देने का यह

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त्याग

किसी का लोटा आपके पास आने तथा मालिक के द्वारा पहचाने जाने पर लोटा लौटाना त्याग नहीं है। गरीब को लोटा देना त्याग है। क्योंकि

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मंगल आशीष

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November 10, 2024

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