Day: December 20, 2024

मनुष्य / देव

मनुष्य संख्यात, देव असंख्यात, इसलिए भी मनुष्य पर्याय दुर्लभ। अधिक से अधिक 2 हजार सागर त्रस पर्याय। मनुष्य लगातार 48 भव। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मोह/ अभिमान

प्रभु के रोज दर्शन करते हैं। उनसे जुड़ क्यों नहीं पाते जबकि संसारियों से तुरंत जुड़ जाते हैं। कारण ? मोह और अभिमान। मोह से

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मंगल आशीष

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