Day: April 16, 2025

प्रेम / रागादि

प्रेम जीव से, गुरु गुण देखकर। रागादि (द्वेष/ मोह) शरीर से होता है, क्षणिक। प्रेम की अधिकता होने पर द्रव्य-दृष्टि बनायें। द्वेष की अधिकता होने

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प्रमाद / लोभ

मनुष्य पर्याय बहुत पुरुषार्थ से मिली है। यदि हमने प्रमाद( गर्मियों में तो बिस्तर भी कहता है कि जल्दी उठ, पसीने से बिस्तर तर हो

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मंगल आशीष

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April 16, 2025

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