भाव
जब तक गुरुओं के पास या मंदिर में रहते हैं, तब तक भावों में बड़ी विशुद्धता रहती है। जैसे ही बाहर आते हैं, विशुद्धता समाप्त हो जाती है। क्या करें ?
आपके भाव 2D हैं, यानी ज्ञान और दर्शन हैं, पर 2D में आकार नहीं बनता। 3D होने पर, यानी चारित्र आने पर, आकार बन जाता है; स्थायी हो जाता है, जैसे लोटे में पानी।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 18 फ़रवरी)
One Response
भाव को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हमेशा विशुद्ध भाव रखना परम आवश्यक है।