74 वाँ स्वतंत्रता-दिवस
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
स्वतंत्रता = क्रियात्मक जीवन
परतंत्रता = प्रतिक्रियात्मक जीवन
पहले देश पराधीन था पर सोच/चेतना आज़ाद थी,
आज देश आज़ाद लेकिन सोच/चेतना पराधीन ।
आचार्य श्री विद्या सागर जी …स्वराज तो आ गया, सुराज लायें । वह आयेगा…स्वभाषा, स्वशिक्षा, स्वरोज़गार, स्वदेशी से ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
One Response
आज महाराज जी ने प़वचन में बहुत महत्वपूर्ण सन्देश दिया गया है कि स्वतंत्रता का मतलब क़ियात्मक जीवन होता है और परतंत्रता का मतलब प़तिक़ियात्मक जीवन है। उक्त कथन भी सत्य है कि पहले देश पराधीन था, लेकिन सोच और चेतना आजाद थी लेकिन आज देश आजाद है लेकिन सोच और चेतना पराधीन है।