ट्रेन के सुरंग से निकलते समय उसमें अँधेरा हो जाता है, कामकाज ठप ।
पर अंदर की Light जला लो तो डर काहे का !
कामकाज भी चलता रहेगा ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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यह कथन बिलकुल सत्य है,
बाहर के अँधेरे को, कुछ समय बाद दूर कर सकते हो, लेकिन अन्तरंग अँधेरे को, जैसे मोह, राग, द्वेष को, जब तक हटाने का प्रयास नहीं करेंगे, तब तक जीवन का कल्याण नहीं होगा; अतः मोक्ष-पुरुषार्थ के लिए, अंदर के बंधनों को, पहचानना ज़रूरी है; तभी मुक्ति पा सकते हो ।
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यह कथन बिलकुल सत्य है,
बाहर के अँधेरे को, कुछ समय बाद दूर कर सकते हो, लेकिन अन्तरंग अँधेरे को, जैसे मोह, राग, द्वेष को, जब तक हटाने का प्रयास नहीं करेंगे, तब तक जीवन का कल्याण नहीं होगा; अतः मोक्ष-पुरुषार्थ के लिए, अंदर के बंधनों को, पहचानना ज़रूरी है; तभी मुक्ति पा सकते हो ।