भाग्य = अलग अलग size के घड़े ।
पुरुषार्थ = अपने अपने घड़ों को कम ज्यादा भरना ।
सौरभ – नोयड़ा
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भाग्य हर प़ाणी का अलग अलग होता है लेकिन पुरुषार्थ भी उसी तरह करते हैं। भाग्य को सुधारने के लिए धम॓ से जुड़कर पुरुषार्थ करेंगे तब ही जीवन का कल्याण होगा।
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भाग्य हर प़ाणी का अलग अलग होता है लेकिन पुरुषार्थ भी उसी तरह करते हैं। भाग्य को सुधारने के लिए धम॓ से जुड़कर पुरुषार्थ करेंगे तब ही जीवन का कल्याण होगा।