दान
महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की चार रोटियाँ बनायीं, तीन कोई जानवर उठा ले गया ।
चौथी रोटी दान की थी, बच्चा तक भूखा रो रहा था पर दान की वह रोटी बच्चे को नहीं दी गयी ।
उसी समय भामाशाह ने अपार धनराशी लाकर राणा प्रताप को सौंप दी ।
इसे दान का प्रताप ना कहें तो क्या कहें !!
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन धर्म में दान का महत्वपूर्ण योगदान है। परोपकार की भावना से अपनी वस्तु का अर्पण करना दान कहलाता है। दान चार प़कार के होते हैं 1 आहार दान 2 औषधि दान 3 उपकरण या ज्ञान दान ओर अभय दान। दान करने से कर्मों की निर्जरा होती है। अतः उचित होगा कि दान के भाव होना चाहिए तभी जीवन का कल्याण होगा।