अर्थ-पर्याय अगुरूलघु गुण का विकार,
व्यंजन-पर्याय नोकर्म का विकार ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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6 Responses
द़व्य की अवस्था विशेष को पर्याय कहते हैं।
पर्याय दो प़कार की होती है…
1. अर्थ-पर्याय एवं
2 व्यंजन पर्याय ।
अर्थ-पर्याय जो सूक्ष्म होती है जिसको शब्दो द्वारा नही कहा जा सकता था।
व्यंज्जन-पर्याय जो स्थूल रुप में होती है, इसको शब्दो में व्यक्त किया जा सकता है।यह जीव की सिद्व पर्याय या मनुष्य आदि पर्याय होती है।
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द़व्य की अवस्था विशेष को पर्याय कहते हैं।
पर्याय दो प़कार की होती है…
1. अर्थ-पर्याय एवं
2 व्यंजन पर्याय ।
अर्थ-पर्याय जो सूक्ष्म होती है जिसको शब्दो द्वारा नही कहा जा सकता था।
व्यंज्जन-पर्याय जो स्थूल रुप में होती है, इसको शब्दो में व्यक्त किया जा सकता है।यह जीव की सिद्व पर्याय या मनुष्य आदि पर्याय होती है।
Yahan par “Vikaar”, se kya samjhein?
पर्याय तो अनित्य है,
और जो नित्य नहीं,वो स्वभाव नहीं विभाव ही होगा न !
“विकार” ka matlab “विभाव”, right?
विकार broader है,
इसमें विभाव भी समाहित है।
दूषित भावों को विभाव कहते हैं ।
Okay.