उद्वेलना-काल

स.प्रकृति के उद्वेलना काल से स.मिथ्यात्व का काल विशेष अधिक होता है ।
दर्शनमोहनी की सिर्फ दो प्रकृतियों; मिथ्यात्व और स. मिथ्यात्व की सत्ता असंख्यात अंतरर्मुहूर्त तक रह सकती है।

जिज्ञासा समाधान-117

इस काल में यदि उपशम स. दर्शन हुआ तो 6 प्रकृतियों के उपशम से ही होगा तथा क्षयोपक्षम स. दर्शन नहीं होगा ।
क्योंकि इस अवस्था में स.प्रकृति है ही नहीं और क्षयोपशम स. दर्शन बिना स. प्रकृति के उदय के होता नहीं है ।

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