चित्त / मन

चित्त अचेतन,
मन चेतन ।
हालाँकि धर्म में इनको अलग अलग नहीं माना है ।

(कृपया comments भी देखें)

Share this on...

5 Responses

  1. मन-नाना प़कार के विकल्प जाल को कहते हैं।मन को अनिन्दिय या अन्तकरण भी कहते हैं।मन भी दो प्रकार के होते हैं द़व्य मन और भाव मन। अतः चित्त अचेतन और मन चेतन होता है। हालांकि धर्म में अलग-अलग नहीं माना है।

  2. यह कथन सत्य है कि चित्त अचेतन और मन चेतन है लेकिन धर्म में अलग-अलग नहीं माना गया है।

  3. लेकिन जब धर्म में, “द्रव्य मन ” (चित्त) और “भाव मन” (मन) का विवरण है, तब हम कैसे कह रहे हैं कि धर्म में इन्हें अलग-अलग नहीं माना गया है ?

    1. द्रव्य-मन को ही चित्त कहते हैं यह किसने कहा !
      वैसे ये दोनों शब्दों में confusion है…
      कल मुनि श्री प्रणम्य सागर जी ने बताया …
      मन ऊपरी, चित्त अंतरंग ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

September 24, 2019

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930