परिषय जय का तात्पर्य भूख प्यास आदि वेदना के होने पर कर्मों की निर्जरा के लिये वहन कर लेना कहलाता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। Reply
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परिषय जय का तात्पर्य भूख प्यास आदि वेदना के होने पर कर्मों की निर्जरा के लिये वहन कर लेना कहलाता है। अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।