आयुकर्म का सम्बंध काल से नहीं बल्कि कर्म के निषेकों से होता है।
उदीरणा में निषेक ज्यादा खिरते हैं।
7वें गुणस्थान में मुनिराज की आयुकर्म की उदीरणा रुक जाती है।
यत्नाचार पूर्वक काम करने से आयुकर्म की उदीरणा रुक जाती है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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4 Responses
आयुकर्म का तात्पर्य जिस कर्म के उदय से भव धारण करना पड़ता है, जिसमें नरक,तिर्यंच,देव एवं मनुष्य का होना होता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि आयुकर्म का सम्बंध काल से नहीं बल्कि कर्मों निषेकों से होता है अतः जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जीवन में सत कर्मों का आश्रय लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आयुकर्म का तात्पर्य जिस कर्म के उदय से भव धारण करना पड़ता है, जिसमें नरक,तिर्यंच,देव एवं मनुष्य का होना होता है। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि आयुकर्म का सम्बंध काल से नहीं बल्कि कर्मों निषेकों से होता है अतः जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। जीवन में सत कर्मों का आश्रय लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
‘यत्नाचार पूर्वक काम करने से’ ka kya meaning hai, please ?
यत्नाचार पूर्वक = सावधानी पूर्वक
Okay.