बंधन….बूंदी के लड्डू को हलके हाथ से बांधना।
संघात….बूंदी के लड्डू को कसके बांधना।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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12 Responses
आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने बन्धन एवं संघात का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में संघात की तरह जीना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आचार्य विद्यासागर महाराज जी ने बन्धन एवं संघात का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में संघात की तरह जीना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
1) Is post ka abhipraay kya hai ?
2) ‘संघात’ ka use kahan hota hai ?
शरीर की रचना नाम कर्म वर्गणाओं के बंधन से होती है। वरना वे बिखर जातीं।
संघात से ऊपर से चिकनी दिखती है जैसे मकान पर प्लास्टर ।
1) ‘संघात’ jab ‘नाम कर्म वर्गणाओं’ ko nahi baandh sakta to upar se wo(‘नाम कर्म वर्गणाओं’) kaise chikni dikhti hain ?
अलग-अलग कर्मों के अलग-अलग गुण होते हैं जैसे ईंटों की चिनाई में सीमेंट कम बजरी ज्यादा, प्लास्टर में सीमेंट ज्यादा बजरी कम।
‘बजरी’ ka kya meaning hai, please ?
बजरी आयी कहाँ है ?
बजरी comment me aayi hai ?
ok
‘बजरी’ ka kya meaning hai, please ?
सीमेंट के साथ जो मिला कर Plastering आदि करते हैं।
Okay.