भगवान की तीर्थंकर प्रकृति के उदय का अनुभाग तथा उदीरणा कम होने लगती है तब भगवान समवसरण छोड़ देते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
(तो वृद्धावस्था में हमारे कर्मों का अनुभाग कम नहीं होगा ? तब हमको घर नहीं छोड़ना चाहिए ??)
चिंतन
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने तीर्थंकर प़कृति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। वृद्धावस्था आने पर सन्यास मार्ग पर चलना उचित रहेगा ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने तीर्थंकर प़कृति का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। वृद्धावस्था आने पर सन्यास मार्ग पर चलना उचित रहेगा ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
Kya ‘वृद्धावस्था’ में हमारे कर्मों का अनुभाग कम ho jaata hai?
हाँ, प्रायः लोगों का।
पर पुण्यात्मा जीव, आचार्य श्री जैसों का बढ़ जाता है।
Okay.