शरीर छूटने पर व्रत छूट जाते हैं पर व्रती व्रत छोड़ता नहीं/ छोड़ना चाहता नहीं।
इसे ही समाधि-मरण कहते हैं। वही संस्कार अगले भव में साथ जाते हैं। जैसे Picnic करके घर वापस आने पर पूर्व की क्रियायें यथावत शुरू हो जाती हैं।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तिथ्य भा.- गाथा- 25)
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4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने समाधि मरण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए श्रावक को समाधिमरण के भाव रखना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने समाधि मरण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए श्रावक को समाधिमरण के भाव रखना परम आवश्यक है।
पूर्व की क्रियायें means picnic me jaane se pehle ki, right ?
Right.
Okay.