हुंडक संस्थान का उदय 14वें गुणस्थान तक रहता है।
सामान्य केवलज्ञानी के दाढ़ी मूंछें यथावत् रहती हैं।
शलाका पुरुषों के दाढ़ी मूंछें नहीं होतीं,
तीर्थंकरों के भी नहीं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने केवल ज्ञानी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने केवल ज्ञानी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
हुंडक संस्थान ka kya role hai? Ise clarify karenge, please ?
संस्थान का कोई विशेष रोल नहीं। यह तो पूर्व कर्मों का फल है।
Okay.