कर्मोदय
जैसे नख़ और केश बार-बार उग आते हैं, वैसे ही कर्मोदय है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(जैसे नख़/ केश को बार-बार काटना पड़ता है ऐसे ही कर्मों को बार-बार कम करना पड़ेगा वरना मैल भर जाएगा, बीमारियां पैदा होंगी/ दु:ख पैदा होंगे)
जैसे नख़ और केश बार-बार उग आते हैं, वैसे ही कर्मोदय है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(जैसे नख़/ केश को बार-बार काटना पड़ता है ऐसे ही कर्मों को बार-बार कम करना पड़ेगा वरना मैल भर जाएगा, बीमारियां पैदा होंगी/ दु:ख पैदा होंगे)
One Response
आचार्य श्री विघासागर महाराज जी ने कर्मोदय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने अच्छे कर्मो पर ध्यान रख कर आगे बढने का प़यास करना परम आवश्यक है।