वीतरागता / संवेदनहीनता
क्या वीतरागता संवेदनहीनता नहीं है ?
संवेदना बाह्य है। गृहस्थ भी बाह्य में रहते हैं, उन्हें संवेदनशील होना चाहिये।
साधु अंतरंगी, उन्हें वीतरागी।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
क्या वीतरागता संवेदनहीनता नहीं है ?
संवेदना बाह्य है। गृहस्थ भी बाह्य में रहते हैं, उन्हें संवेदनशील होना चाहिये।
साधु अंतरंगी, उन्हें वीतरागी।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज वीतरागता एवं संवेदनहीनता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संवेदनहीन होना परम आवश्यक है