Category: 2010

उदय/बंध/सत्ता

ट्रेन में जाते समय, जो रास्ते में उतरे वो उदय, यात्रियों का चढ़ना बंध और जो ट्रेन में रहे आए वो सत्ता। मुनि श्री योगसागर

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अनुभाग बंध

तीव्र कषाय से – घातिया और अघातिया की पाप प्रकृतियों का अनुभाग ज्यादा होता है । पं. रतनलाल बैनाडा जी

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स्थिति बंध

तीव्र कषाय से देव, मनुष्य और तिर्यंच आयु की स्थिति कम बंधती है । बाकी 145 कर्म प्रकृतियों की स्थिति (तीर्थंकर प्रकृति तथा साता भी)

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उदय

उदय आने पर पहले ज्यादा कर्मवर्गणायें उदय में आतीं हैं फ़िर धीरे धीरे कम होती जातीं हैं । जैसे प्रवचन हाल से छूटते समय शुरू

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व्रत

पहले से चौथे गुणस्थान में जो व्रत नियम लिये जाते हैं वे चारित्र मोहनीय के क्षयोपशम से नहीं होते बल्कि चारित्र मोहनीय के मंद उदय

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केवली

केवली भगवान के असाता का भी उदय होता है पर अनुभाग बहुत कम । साथ-साथ साता का भी लगातार उदय होता रहता है । चूंकि

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पर्याप्तियां

6 पर्याप्तियां शुरू तो साथ-साथ होती हैं, पर पूर्ण अलग-अलग । जैसे पुली – चेन में सारी पुलीयां Move करना एक साथ शुरू करतीं हैं,

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उदीरणा

आचार्य श्री के अनुसार :- सामान्यतः कर्मों की दसवें गुणस्थान तक उदय, सत्ता, उदीरणा चलती रहती है । यह नियम है अन्यथा उदय कार्यकारी नहीं

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कर्म प्रकृति में करण

नरकायु का चौथे गुणस्थान तक, तिर्यन्चायु का पांचवे गुणस्थान तक अपकर्षण, उदीरणा, सत्त्व, उदय करण होते रहते हैं । कर्मकांड़ गाथा : – 448

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कर्म प्रकृति में करण

नौवें दसवें गुणस्थानों में उपशम, निद्यत्ति, और निकाचित करण नहीं होते । क्योंकि अनिवृत्ति करण परिणामों से उपशम, निद्यत्ति, और निकाचितपना टूट जाता है ।

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मंगल आशीष

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February 5, 2010

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