Category: 2010

अशुभोपयोग

अशुभोपयोग उस Spring वाले खिलौने जैसा है, जिसे दबाये रखो तो दबा रहेगा, छोड़ते ही सर उठा लेगा । मंदिर की ओर जाना – शुभोपयोग,

Read More »

शुद्धोपयोग

जैसे कमरे में कूद कर छत को छूना । शुद्धोपयोग मुनिराजों के इतने ही समय का होता है, बाकि समय वे शुभोपयोग में रहते हैं

Read More »

लोभ/आसक्ति

                                      अप्रत्याख्यान से लोभ होता है, अनंतानुबंधी से आसक्ति होती है ।

Read More »

क्षयोपशम

                 घातिया कर्मों का ही होता है । अघातिया तो उदय में आकर फल देकर झर जाते हैं । इसीलिये केवली के क्षयोपशम नहीं होगा

Read More »

केवली के ध्यान

निर्जरा का कारण ध्यान है, केवली के निर्जरा तो होती है । पर ध्यान मन से होता है और केवली के भाव मन होता नहीं

Read More »

कार्मण-वर्गणाऐं

कार्मण-वर्गणाऐं आठ स्वभाव वाली होती हैं, जैसे ज्ञानावरणी आदि । पर Category एक ही होती है । जैसे क्रिकेट की टीम एक Category की होती

Read More »

सप्त धातु

देवों के शरीर धातु रहित होते हैं । नारकियों के सड़ी धातुयें होती हैं । एक इंद्रिय के धातुयें होती ही नहीं हैं । दो

Read More »

विक्रिया

ये चारौं गतियों में होती है । तिर्यंचों में पृथक विक्रिया नहीं होती । बादर तैजसकायिक और वायुकायिक तथा पर्याप्तक पंचेंद्रिय तिर्यंच एवं मनुष्य, तथा भोगभूमि

Read More »

प्रत्यय

प्रत्यय यानि निमित्त, जैसे भव प्रत्यय / गुण प्रत्यय अवधिज्ञान । तत्वार्थ सूत्र टीका – श्री शांतिलाल भाई

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

November 6, 2010

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031