Category: 2010
आवश्यक
6 आवश्यकों में से 3 तो कर्म हैं । – गुरूपास्ति, देवदर्शन/पूजा और स्वाध्याय । इनसे मनोरंजन भी होता है । अगले 3 साधन है
निदान
निदान संसारी सुखों का ही होता है । प्रशस्त निदान – जैसे 5 लाख रू. मिल जायें तो बिटिया की शादी कर दीक्षा ले लूंगा
केवली समुद्दघात
केवली समुद्दघात में, केवली भगवान आत्मा में कर्मों की आर्दता को, जाते और वापस आते समय सुखाते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
सामायिक
जल ही जिनका शरीर है उनको जलकायिक जीव कहते है । ऐसे ही शरीर जब, समय (आत्मा) बन जाये वो सामायिक है । चिंतन
भेद विज्ञान
सोने को तपाने (तप) पर, यदि सुहागा (भेद विज्ञान) नहीं ड़ाला, तो फिर ठंड़ा होने पर मैल (विकार) इसी में मिल जायेगा ।
द्वितीयोपशम सम्यग्दर्शन
यदि जीव उपशम श्रेणी के सम्मुख खड़ा हो तो, चढ़ते समय चौथे गुणस्थान से ग्यारहवें गुणस्थान तक द्वितीयोपशम सम्यकत्व रहेगा ।
आबाधा
जिसमें उदय या उदीरणा नहीं । – जिसमें उदय नहीं वह उदय-आबाधा काल और जिसमें उदीरणा नहीं वह उदीरणा-आबाधा काल । – जघन्य उदय-आबाधा काल
संज्वलन कषाय
जघन्य स्थिति * क्रोध – 2 माह * मान – 1 माह * माया – 15 दिन * लोभ – अंतर्मुहुर्त (सबका वासना काल अंतर्मुहुर्त)
वेद
स्त्रीवेद के मुख्य कारण – अत्यधिक राग, दूसरों को दोष देना, मायाचारी और असत्य भाषण । नपुंसक वेद के मुख्य कारण – कषायों की तीव्रता,
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